Karwa Chauth Muhurt ( करवा चौथ पूजा मुहूर्त )

करवा चौथ पूजा मुहूर्त

                                                       

दिनाँक 

24/11/2021

पूजा समय मुहूर्त ः शाम 05ः38 से 06ः56 तक

चन्द्रमा का उदय ः शाम 08ः11 बजे 

चतुर्थी तिथि आरंभ ः 24 अक्टूबर 2021 सुबह 03ः02 बजे तक 

चतुर्थी तिथि समाप्त ः 25 अक्टूबर 2021 सुबह 05ः42 बजे तक 

करवा चौथ मुहुर्त ः करवा चौथ का त्योहार कल दिनांक 24 अक्टूबर को पूरे देश मे धूमधाम से मनाया जाएगा । यह त्योहार सुहागिन स्त्रिय़ों के लिए बहुत ही खुशी का पर्व होता है । इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति के लिए व्रत रखती है । और शाम को चन्द्रमा के दर्शन करने और उनकी पूजा करने के बाद अपना व्रत तोड़ती है ।

सुहागिन महिलाओ को इस दिन का इन्तजार हर एक साल के बाद आता है । जिसमे पत्नियाँ अपने पति के लिए लम्बी उम्र की कामना करती है । और अपने परिवार की खुशियों के लिए भी मंगल कामना करती है । 





Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi (करवा चौथ की कथा)

 


करवा चौथ व्रत कथा


कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते है| इसमें गणेश जी का पूजन करके उन्हें पूजन दान से प्रसन्न किया जाता है, इसका विधान चैत्र की चतुर्थी में लिख दिया है| परन्तु विशेषता यह है की इसमें गेहूँ का करवा भर के पूजन किया जाता है और विवाहित लड़कियों के यहाँ चीनी के करवे पीहर से भेजे जाते है| तथा इसमें निम्नलिखित कहानी सुनकर चन्द्रोद्र्थ में अर्ध्य देकर व्रत खोला जाता है|

कथा- एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी| सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था| रात्रि को साहकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहिन से भोजन के लिए कहा| इस पर बहिन ने जवाब दिया- भाई! अभी चाँद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्ग देकर भोजन करुँगी| बहिन की बात सुनकर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्होनें बहिन से कहा-बहिन! चाँद निकल आया है अर्ग देकर भोजन कर लो| यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्ग दे लो, परन्तु वे इस काण्ड को जानती थी, उन्होंने कहा बाई जी! अभी चाँद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोका करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे है| भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान ना दिया एवं भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्ग देकर भोजन कर लिया| इस प्रकाश व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रस्सन हो गए| इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया| जब उसने अपने किये हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया गणेश जी की प्राथना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया| श्रधानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया| इस प्रकाश उसके श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गये और उसके पति को जीवन दान दे कर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-सम्पति से युक्त कर दिया| इस प्रकाश जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रधा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे वे सब प्रकार से सुखो को भोगते हुए स्वर्ग लोक को प्राप्त करते है ।


Karwa Chauth ki pooja vidhi aur Vrat ( करवा चौथ व्रत और पूजा विधि कैसे करे )

Karwa Chauth ki pooja vidhi aur Vrat ( करवा चौथ व्रत और पूजा विधि कैसे करे )

 

करवा चौथ व्रत और पूजा विधि

करवा चौथ 2021 : करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियाँ ऱख सकती है । यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है.यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. यह त्योहार सुहागिन स्त्रियाँ मनाती हैं. करवा चौथ व्रत सुबह सूर्योदय से पहले 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है. इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है. स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है. जो सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं. ऐसे में अगर आप इस साल अपना पहला करवा चौथ का व्रत रखने जा रही हैं तो आज हम आपको करवा चौथ की आसान सी पूजा विधि बताने जा रहे हैं जो आपको आसानी से समझ में आ जाएगी.

करवा चौथ आसान पूजा विधि (Karwa Chauth Simple Pujan Vidhi)

1. इस दिन सुबह-सवेरे उठा जाएं. आपको सरगी के रूप में जो भोजन मिला है उसे ग्रहण करें और पानी पीएं. फिर निर्जला व्रत रखने का संकल्प करें. इस दिन सूर्य उदय होने से पहले ही स्नान कर लें. 

2. शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना एक चौकी पर करें. फिर गणेश जी का पूजन करें. इन्हें पीले फूलों की माला, लड्डू और केला अर्पित करें.

3. फिर शिवजी और माता पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं और श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े चढ़ाएं. इसके बाद करवा माता का चित्र लगाएं.

4. अगरबत्ती और दीपक जलाएं. फिर मिट्टी का कर्वा लें और उस पर स्वास्तिक बनाएं.

5. करवा चौथ की पूजा के लिए शाम को मिट्टी की वेदी बनाएं और उसपर सभी देवताओं की स्थापना करें. इस पर करवा रखें.

6. फिर एक थाली लें और उसमें धूप, दीप, चंदन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक लें. दीपक को जलाएं.

7. चांद निकलने से करीब एक घंटा पहले ही पूजा शुरू कर देनी चाहिए. मिट्टी का कर्वा लें और उसमें दूध, जल और गुलाब जल मिलाएं.

8. इस दिन करवा चौथा की कथा जरूर सुनें.

9. फिर चांद निकलने के बाद छलनी के जरिए चांद को देखें. चंद्रमा की पूजा करने के बाद अर्घ्य दें. चांद के दर्शन के बाद महिला को अपने पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए.

– सास को थाली में मिठाई, फल, मेवे, रुपये आदि दें. साथ ही उनसे सौभाग्यवती का आशीर्वाद लें.

Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi (करवा चौथ की कथा)

Bajrang Baan in Hindi ( बजरंग बाण )



 बजरंग बाण

बजरंग बाण के पाठ करने मात्र से हर प्रकार का डर और संकट दूर हो जाते है , भगवान शिव के रुद्रावतार कहलाने वाले श्री हनुमान का बजरंग बाण बहुत ही फल कारक पाठ है ।

आइये इस पाठ के स्मरण मात्र से सभी समस्याओ का हल स्वयं बजरंगी करने आ जाते है , आइये हम सब मिल कर इसका पाठ करे ....

 बजरंग बाण

।। दोहा ।।

निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करे सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करे हनुमान ।।

चौपाई ।

जय हनुमंत संत हितकारी ।
 सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।

जन के काज विलम्भ न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।

जैसे कुदि सिन्धु वहि पारा ।
सुरका बदन पैठि विस्तारा ।।

आगे जाए लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गयी सुर लोका ।।

जाए विभीषन को सुक दीन्हा ।
सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।

बाग उजार सिन्धु महुँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ।।

अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेट लंक को जारा ।।

लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर मे भई ।।

अब विलम्ब केंहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।

जय जय लखन प्राण के दाता ।
आतुर हैृ दुख करहु निपाता ।।

जै हनुमान जयति बल- सागर ।
सुर समूह समरथ भटनागर ।।

जय हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।

ऊँ हीृं ही़ृं हीृं हनूमंत कपीसा ।
ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ।।

जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकरसुवन बीर हनुमंता ।।

बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रति पालक ।।

भूत-प्रेत-पिशाच निशाचर ।
अगिन बैताल काल मारी मर ।।

इन्हे मारु तोहिं सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ।।

सत्य होउ हरि सपथ पाई के ।
रामदूत धरु मारु धाइ के ।।

जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुख पावत जन केहि अपराधा ।।

पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।

वन उपवन मग गिरि गृह माही ।
तुम्हरे डर हम डरपत नाही ।।

जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकि सपथ विलम्ब न लावौ ।।

जै जै जै धुनि होत अकासा ।
समिरत होय दुसह दुख नासा ।।

चरन पकरि, कर जोरि मनावौ ।
यहि औसर अब केहिं गोहरावौ ।।

उठु,उठु चलु तोहि राम दुहाई ।
पाँय परौ करि जोरि मनाई ।।

ऊँ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ऊँ हनु हनु हनु हनु हनूमंता ।।

ऊँ हं हं हाँक देति कपि चंचल ।
ऊँ सं सं सहमि पराने खल-दल ।।

अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिर कौन उबारै ।।

पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्राण की ।।

यह बजरंग-बाण जो जापै ।
तासो भूत-प्रेत सब कांपै ।।

धूप देय जो जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।

।। दोहा ।।

उर प्रतीति द्रृण सरन है
पाठ करै धरि ध्यान ।

बाधा सब हर,
करै सब काम सफल हनुमान ।।








Shri Gayatri Maha mantra (श्री गायत्री मंत्र )


 

श्री गायत्री मंत्र

।। ऊं भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमही धियोः योनः प्रचोदयात ।।


उपासना ईश्वर कीः - माँ गायत्री के मंत्र के उच्चारण मात्र से समस्त नकारात्मक ऊर्जो का नाश हो जाता है, मन शुद्ध और शांत प्रतीत करता है और शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है ।

माँ गायत्री देवी को सर्वोच्त देवियो मे श्रेष्ठ माना गया है क्यो की उनकी उत्पति ही समस्त देवियों के द्धारा हुई है ।

Maa Gayatri ki aarti in Hindi ( माँ गायत्री आरती )

माँ गायती

माँ गायत्री आरती 

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जग पालन कर्त्री।
दुःख शोक भय क्लेश कलह दारिद्र्य दैन्य हर्त्री॥१॥

ब्रह्मरूपिणी, प्रणत पालिनी, जगत धातृ अम्बे।
भव-भय हारी, जन हितकारी, सुखदा जगदम्बे॥२॥

भयहारिणि, भवतारिणि, अनघे अज आनन्द राशी।
अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी॥३॥ 

कामधेनु सत-चित-आनन्दा जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता॥४॥

ऋग्, यजु, साम, अथर्व, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्रार सुषुम्रा शोभा गुण गरिमे॥५॥

स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रह्माणी, राधा, रुद्राणी।
जय सतरूपा वाणी, विद्या, कमला, कल्याणी॥६॥

जननी हम हैं दीन, हीन, दुःख दारिद के घेरे।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तऊ बालक हैं तेरे॥७॥

स्नेह सनी करुणामयि माता चरण शरण दीजै।
बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै॥८॥

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये।
शुद्ध, बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये॥९॥

तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि, पुष्टि त्राता।
सत मारग पर हमें चलाओ जो है सुखदाता॥१०॥

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता॥

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Shri Gayatri Chalisa in Hindi ( श्री गायत्री चालीसा )


॥ दोहा ॥

हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥

॥ चालीसा ॥

भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥

अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥

हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥

ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥

तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥

चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥

सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥

दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥

गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥

संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥

।। इति गायत्री चालीसा समाप्त ।।

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Hanumaan Chalisa (हनुमान चालीसा )
Maa Durga Chalisa in Hindi ( माँ दुर्गा चालीसा )


Hanumaan Chlisa in Hindi ( हनुमान चालीसा )

 


 

।। हनुमान चालीसा ।।
।। दोहा ।। 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।। 


भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। 


सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।। 


अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।। 


सिया वर राम चन्द्र की जय ।।
उमा पति महादेव की जय ।।
पवन सुत हनुमान की जय ।।



 

 

Karwa Chauth Muhurt ( करवा चौथ पूजा मुहूर्त )

करवा चौथ पूजा मुहूर्त                                                         दिनाँक  24/11/2021 पूजा समय मुहूर्त ः शाम 05ः38 से 06ः56 तक चन...